इस लेख में हिन्दू धर्म के वर्तमान स्थिति और कर्तव्यों के सम्बन्ध में विशेष रूप से बात की गयी है, इस पुस्तक को पढ़ने के पश्चात आपके समाज के प्रति आपका कर्तव्य निर्धारित होगा तथा उसके उत्थान के लिए समर्पण की भाव तीव्र होगी।
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