‘संघे-शक्ति∶ कलौ युगे, ‘कलियुग में एकता में ही बल है: आज के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए सन्यासी श्री श्रद्धानन्द जी द्वारा लिखित यह पुष्तक “हिन्दू संगठन” हिन्दू समाज को करीब से समझने के लिए पर्याप्त है। कैसे हिन्दू धर्म आज अपने पतन की ओर बढ़ रहा, हमने इतिहास में क्या गलतियाँ करि, कैसे हमारे पूर्वजों की आँखों में धुल झोंक कर हमें इस्लाम और ईसाईयत के मुँह पर फेंक दिया गया, इस पुष्तक में हिन्दू सामाज के पतन का इतिहास और उसे रोकने के उपाय वर्णित हैं।
यह पुस्तक हिन्दू समाज में जाती, जन-जाति और वर्ण व्यवस्था के वास्तविक स्वरुप को दिखाती है, की कैसे हम थे, हैं और आगे की हमारी रणनीति कैसी होनी चाहिए, इस बात पर विशेष रूप से प्रकाश डालती है।