निहंग सिखों की कट्टरपंथी मानसिकता और देश विरोधी खालिस्तानी गतिविधि, देशभक्त सिख कैसे बचें?

ऐसा नहीं है की निहंग सिखों कि खालिस्तानी कट्टरता और हिन्दुओं के लिए द्वेष पहली बार हमारे सामने आयीं हैं बल्कि ऐसा पहले भी होता रहा है फर्क बस इतना है की आज सोशल मीडिया व्यापक अस्तर पर ऐसे ख़बरों को आम लोगों तक पहुंचा देता है।

इनके कट्टरता का मूल कारन है अब्राहमिक सोच जिसमे एक पुष्तक, एक गॉड, और अपने को ही सर्वश्रेष्ठ दिखाने की विचारधारा, … पहले ये हिन्दू देवी, देवताओं के प्रति सम्मान और उनकी पूजन भी किया करते थे पर समय बीतने के साथ-साथ वे इनके विरुद्ध जाकर इन्हे मानने वालों से भी घृणा करने लग गए हैं जबकि वे इनकी उत्पत्ति के कारन है।

Khalistan extremism and demand to divide India to form a new country Khalistan
Khalistan Extremists | Img: Viral Media

सिख पंथ की शुरुआत एक तय अवधी और लक्ष्य की प्राप्ति के लिए की गई थी बाद में इन्हे सनातन धर्म में शामिल होना था पर हमारे राजनेताओं की सत्ता लोलुपता ने विदेशियों को इनमे घुसपैठ करने का अवसर दे दिया और अब उनकी भारत तोड़ने की साजिस को सफल होते देखा जा सकता है।

ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने हिंदुओं और सिखों के बीच दरार पैदा करने के लिए SGPC (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) 1925 को ‘फूट डालो और राज करो’ के रूप में बनाया था।

अब SGPC अब्राहमिक्स की तरह फरमान जारी करता है और यह गुरु बानी के खिलाफ है जिन्होंने ‘गुरु मान्यो ग्रंथ‘ का आदेश दिया, और अन्य किसी भी निकाय का नहीं।

ऐसा नहीं है की किसी समुदाय में बस बुरे लोग ही होते हैं इसलिए इसे नजर-अंदाज नहीं किया जा सकता की सिखों में बहुत से अच्छे सिख भाई भी हैं जो देश भक्त हैं और भारत की एकता और अखंडता के लिए वे आज भी खड़े होने की मनसा रखते हैं, पर सोचने की आवश्यकता यह है की क्या उनकी अपने समुदायों में सुनी जाती है?

क्यूंकि हमने अच्छे सिखों को शायद की कभी देखा होगा खालिस्तानियों के खिलाफ आवाज उठाते और हाल में भी हुए पटियाला में खालिस्तानियों के हिन्दू और देश विरोदी दंगे में किसी ने इस घटना की निंदा तक नहीं की और ना ही वे खालिस्तानियों के विरोध में खड़े हुए।

यह घटना शिव सेना और अन्य हिन्दू संगठनों के खालिस्तानी सोच रखने वालों के विरोध में थी जिसमे उन्होंने एक रैली निकाली और खालिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। जिसके बाद अचानक खालिस्तान समर्थक निहंग सिखों ने उनपर तलवार और पत्थरों से हमला बोल दिया।

देखते ही देखते सिखों ने माता काली के मंदिर पर हमला किया बचाव में आयी पुलिस पर भी हमला किया जिसमे एक थानेदार के हाथ में गोली लगी और वे बुरी तरह घायल हो गए।

हिंसा को शांत करने के लिए पुलिस को फायरिंग भी करनी पड़ी और कड़ी मस्सकत के बाद उन्हें हिंसा शांत करने में सफलता मिली।

ऐसी घटनाएं अब आम होने लगी है क्यूंकि जबसे आम आदमी पार्टी की सरकार पंजाब में बनी है खालिस्तानियों को अपने अजेंडे चलाने के लिए और अधिक बल मिल गए हैं।

ऐसी घटनाओं से यह सिद्ध होता है की जो सिख भाई अपने समुदाय के ही लोगों के देश विरोदी गतिविधियों में संलिप्तता के खिलाफ आवाज नहीं उठा पा रहे क्यूंकि वो कट्टरपंथियों से डरे हुए हैं और कट्टरपंथियों के आगे अपने घुटने टेक दिए।

इसलिए अब समय आ गया है की देशभक्त और अच्छे सिख भाइयों को अपने ऊपर लांछन लगने से बचाव के लिए उन्हें अपने मूल धर्म सनातन धर्म में वापसी कर लेनी चाहिए।

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