कोरोनिल बनी दुनिया की पहली दवा जो साक्ष्य पर आधारित है और कोरोना को ठीक करती है

शुक्रवार, 19 फरवरी 2021 को कोरोनिल के सफलता समारोह में योग गुरु, रामदेव और पतंजलि के संस्थापक ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में अपने संगठन द्वारा एक शोध पत्र जारी किया है, जिससे साबित होता है, की कोरोनिल “Covid-19 के लिए पहली साक्ष्य-आधारित दवा है“।

पतंजलि द्वारा प्रस्तुत कोरोनिल को अब डब्ल्यूएचओ (WHO) के बताये योजना अनुसार आयुष मंत्रालय का प्रमाण प्राप्त है अथवा,

“कोरोनिल को ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)’ सर्टिफिकेशन योजना के तहत ‘सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन/केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CoPP) ‘ के आयुष खंड से फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट का सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ है,”

मिडिया से बात करते हुए बाबा ने कहा – हमारे द्वारा प्रस्तुत किये शोध पत्र, कोरोनिल से संबंधित सभी “संदेह” को स्पष्ट करता है और अब ये कोरोना के लिए एक आयुर्वेदिक दवा है। उन्होंने कहा,

“जब हमने कोरोनिल को लॉन्च किया, तो हमें गंभीर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था लोगों ने इसकी वैधता पर सवाल उठाए और पूछा कि क्या हमने वैज्ञानिक मापदंडों का पालन किया है?

बता दें की, 1 जून 2020 को जब बाबा रामदेव जी ने कोरोनिल को पेश किया था, जब महामारी अपने चरम पर थी। तब देश के तथा कथित बुद्धिजीवी वर्ग इस दवा के खिलाफ बाबा रामदेव का मजाक बनाते देखे गए थे !

जिसके बाद आयुष मंत्रालय ने इस दवा पर संज्ञान लेते हुए कहा की बगैर शोध पत्र जमा किये कोरोनिल को दवा कह के नहीं बेचा जा सकता, अभी ये रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने वाले दवा के रूप में ही बाजारों उपलब्ध होगा।

बाबा ने कहा लोगों को लगता है कि शोध केवल विदेशों में ही हो सकते हैं। पर अब इस शोध के साथ, हमने कोरोनिल के बारे में लोगों के सभी संदेह दूर कर दिए हैं।”

सरकार ने पूरे वैज्ञानिक अनुसंधान सबूतों को पूरा करने के बाद हमें हरी झंडी दे दी है, जो अंतरराष्ट्रीय मापदंडों पर आधारित है तथा डब्ल्यूएचओ के साथ – साथ देश और दुनिया भी अब सहमत है

वहीँ बताया जा रहा है ही, अब कोरोनिल को दुनियां के 158 देशों में कोरोना की दवा के रूप में निर्यात किया जायेगा

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