दुनियां का अंत: भविष्य मालिका की भविष्यवाणी, महाविनाश 29 अप्रेल 2022 से होगा शुरू | Prophecies

पृथ्वी पर अधर्म का प्रबल होने पर जब-जब संत और आध्यात्मिक गुरुओं के द्वारा धर्म की स्थापना की आवश्यकता हुई, तब-तब भगवान अधर्म का नाष और धर्म कि संस्थापना के लिए ईश्वर का अवतार हुआ है और यह प्रक्रिया आगे भी चलती रहेगी।

हिन्दू धर्म ग्रंथों में इसका पहले से ही उल्लेख है की कलियुग में मानवजाति की एक बड़ी आबादी धर्म को छोर अधर्म की राह पकर लेंगे। समय बीतने और आक्रांताओं की भारत पर लगातार प्रहार होने के कारण हमारे शास्त्रों में मिलावट किये गए हैं।

इसलिए कलियुग की काल गणना को लेकर लोगों में काफी भ्रम की स्थिति बानी हुई है। इसी स्थिति में एक ग्रन्थ की जानकारी हमें मिली है जिसने युग परिवर्तन और योगों की अवधी को ले कर हमारे पुराने धारणाओं और गणनाओं को गलत साबित करती है।

इस ग्रंथ के रचयिता ओडिशा के एक महान संत रहे हैं और उन्होंने इस ग्रंथ में भगवान जगन्नाथ जी की आवाज में विचार व्यक्त किए हैं। इस ग्रंथ का नाम “भविष्य मालिका (Bhavishya Malika)” है, जिसे व्यापक रूप से प्रसिद्ध किया गया है।

भगवान श्री कृष्ण के पंचसखा (पांच मित्र), सनातन धर्म के प्रेरणास्त्रोत, करीब 600 वर्ष पहले ओडिशा में आवतारित हुए भगवान श्री जगन्नाथ जी की पूज्य भूमि पर उनके प्रिय भक्तों में एक महान जन्म हुआ था। उनमें से प्रमुख थे:

  1. श्री अच्युतानंद दास
  2. श्री अनंतदास
  3. श्री जसवंतदास
  4. श्री बलरामदास
  5. श्री जगन्नाथदास

द्वापर में श्री कृष्ण के सखा, सुदामा जी हुए उन्होंने महापुरुष अच्युदानन्द दास जी के रूप मे जन्म लिया। वे ओड़िशा एवं पूरे देश और विश्व मे महापुरुष अच्युतानंद दास जी के नाम से जाने गए।

द्वापर युग में श्री कृष्ण के सखा सुदामा जी बनकर उन्होंने महापुरुष अच्युतानंद दास जी के रूप में जन्म लिया। संत अच्युतानंद दास, ओडिशा में हुए महान संतों में से एक थे। उनका जन्म 10 जनवरी 1510 में हुआ। उनकी तप और भक्ति के कारण उनमे एक दिव्य शक्ति थी जिससे वे वर्तमान के साथ-साथ भूत, और भविष्य को भी देखने की क्षमता रखते थे। उन्होंने अपने ग्रहणी दर्शनों के माध्यम से ओडिशा और पूरे देश में महापुरुष अच्युतानंद दास जी के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त की।

संत अच्युतानंद दास, जिन्हें अच्युत दास या अच्युतानंदन दास भी कहा जाता है, ओड़िया भाषा के प्रमुख संत और कवि थे। उन्होंने 16वीं शताब्दी में भारत के ओड़िशा राज्य के पुरी जिले में जन्म लिया था। उन्हें पाँच पंचसखा में से एक माना जाता है, जो भगवान जगन्नाथ के प्रेमी भक्त थे। पंचसखाओं ने ओड़िशा में भक्ति आंदोलन को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अच्युतानंद दास को उनके आध्यात्मिक उपदेश और ओड़िया साहित्य में किए गए योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने भगवान जगन्नाथ और अन्य देवताओं के प्रति भक्ति को महत्वपूर्ण बनाने वाले कई भजन और कविताएँ लिखी। उनके लेखन में अक्सर दार्शनिक दृष्टिकोण और नैतिक मूल्यों को महत्वपूर्ण धाराओं में प्रस्तुत किया गया।

उनके प्रमुख रचनाकारी कामों में “भक्ति-रत्नाकर” नामक ग्रंथ शामिल है, जो एक भक्ति परम्परा की कविताएँ जमा करता है। यह काम उनकी भगवान जगन्नाथ के प्रति गहरी भक्ति और भक्ति मार्ग के बारे में उनकी उपदेशनाओं को प्रकट करता है।

अच्युतानंद दास की एक अनूठी विशेषता थी कि उन्हें भविष्य की घटनाओं की पूर्वानुमानी करने और समय के चक्रीय स्वरूप की ज्ञान प्राप्त थी, जैसा कि “भविष्य मालिका” में प्रकट होता है। इस ग्रंथ में उन्होंने कलियुग से नए युग में जाने तक की घटनाक्रम की भविष्यवाणियाँ की है।

अच्युतानंद दास जी ने उनके सखाओं के साथ मिलकर लगभग 1,85,000 ग्रंथ लिखे, जिनमें “भविष्य मलिका” महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो अद्वितीय घटनाओं से भरपूर है। उन्होंने भविष्य मलिका के माध्यम से कलियुग के अंत, महाविनाश, और सत्य युग के प्रारम्भ के घटनाक्रम का विवरण प्रस्तुत किया है।

ग्रंथ के अनुसार, 2020 से महाविनाश की घटना का प्रारंभ हो चुका है। वर्ष 2025 तक कलियुग का प्रभाव कम हो जाएगा और नए युग की शुरुआत होगी। शनि के ग्रहणी प्रभाव और अन्य घटनाएँ भी आवश्यक होंगी जो महाविनाश की घटनाओं के साथ जुड़ी हैं।

इसी प्रकार, भविष्य मालिका के द्वारा दिए गए विचार और घटनाक्रम हमें मनने और समझने की आवश्यकता है, ताकि हम सही दिशा में आगे बढ़ सकें। धर्म, नैतिकता, और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलकर हम सब एक सशक्त, विकसित और आदर्श समाज की स्थापना कर सकें।

यह ग्रन्थ ताम्रपत्र पर लिखा गया है। क्योंकि यह एक गुप्त ग्रन्थ है इसलिए इसके संबंध में ओडिशा के संतों के अलावा बहुत कम लोग ही जानते हैं। भविष्य मलिका भगवान श्री जगन्नाथ जी की देववाणी है।

इसमें भगवान कल्किदेव कब धरती पर जन्म लेंगे, कलियुग का अंत कब होगा, विश्वयुद्ध कैसे होगा, महाभारत के शेष बचे आधा युद्ध कब और कैसे होगा, कैसे विनाश और युगपरिवर्तन होगा, वे कैसे धर्म संस्थापना की करेंगे, कैसे सत्य युग (सतयुग) की शुरुआत होगी आदि घटनाओं का वर्णन है।

Birth of Lord Vishnu as Kalki Avatar to end Kali Yug and establish Dharma
भगवान विष्णु की कल्कि अवतार

कलियुग का अंत और सत्य युग का आरम्भ

कलियुग का अंत - End of Kaliyug
कलियुग का अंत

हमारे धर्म ग्रंथों, धर्म गुरुओं और कथाकारों के माध्यम से आपने सुना होगा कि कलियुग के 4,32,000 वर्षों की आयु है, जिसमे अभी लगभग 5000 वर्ष ही पूरे हुए हैं और 427000 वर्ष शेष हैं।

गुजर रहे इस अवधी को कुछ लोग कलियुग कि बाल्यवस्था के रूप में भी मानते हैं। लेकिन भगवान जगन्नाथ जी कि ब्रह्मवाणी से लिखा ग्रन्थ भविष्य मालिका और ओड़िशा संस्कृती के हिसाब से कलियुग का अंत हो चुका है क्यूंकि कलियुग की अवधी केवल 5000 की ही थी और अब 5120 चल रहा है। ग्रन्थ के मुताबिक कलियुग का पूर्ण रूप से अंत हो गया है और अभी अनंत युग चल रहा है जो कलियुग के अंत और सत्य युग के शुरुआत की अवधी है।

2025 तक कलियुग का असर ख़तम हो जायेगा। आने वाले कुछ वर्षों में युगपरिवर्तन शुरू होगा और सत्य युग के प्रारम्भ के पहले धर्म स्थापना का समय शुरू होगा और 2029-2030 के बिच सनातन धर्म की स्थापना के बाद सत्य युग का आरम्भ होगा।

ग्रन्थ के अनुसार 2020 से महाविनाश कि शुरुआत हो चुकी है। महाभारत का एक बेला की युद्ध अभी बांकी है जो महायुद्ध के रूप मे तीसरा विश्वयुद्ध के तौर पर होने जा रहा है। इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाएं भी आएंगी जैसे कि जल प्रलय, भूकंप, ज्यादा गर्मी का पड़ना, उल्कापिंड, बिजली गिरना, एक्सीडेंट,और महामारी आदि…

मानवजाती का भविष्य

आने वाले वर्षों में सम्पूर्ण विश्व में केवल 8%-10% ही प्रभु के भक्त बचेंगे और वही सतयुग मे प्रवेश करेंगे। भारत में 140 करोड़ में से कुल 33 करोड़ और विदेशों में के कुल 31 करोड़ लोग बचेंगे, यानी पुरे विश्व की आबादी मे से सिर्फ 64 करोड़ लोग बचेंगे।

प्रभु श्री जगन्नाथ, बैकुंठ छोड़कर भगवान कल्कि के रूप में जन्म ले लिया है। उनका जन्म शम्भल, ओड़िशा की पावन धरती पर भगवान विष्णु के भक्त ब्राम्हण परिवार में हुआ है।

भगवान कल्किदेव की आयु अभी 14 वर्ष की है, वे 17 वर्ष की आयु यानि 2024 में 2999 भक्तों को लेकर धर्म संस्थापना की शुरुआत करेंगे।

भविष्य मालिका में कुल 10 अशुभ संकेत दिए गए थे जो कोरोना महामारी समेत ओडिशा के श्री जगन्नाथ मंदिर से सम्बंधित थे। दिए गए संकेतों में अब तक सभी संकेत मिल चुके हैं।

संकेतों के साथ-साथ उन्होंने वर्ष, तिथि, ग्रहों की दशा और दिशा को वर्णित किया है।

भविष्य मालिका में कलियुग के अंतिम कालखंड और युग परिवर्तन की अनेको सटीक भविष्यवाणियाँ की गयी है। जिसे आज के समय से जोरकर देखा गया है, जिसमे सबसे पहले होगा कलियुग का अंत फिर होगा महाविनाश और अंत में होगा नए युग का प्रारम्भ।

भविष्य मालिका के अनुसार हमारी पृथ्वी एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है, यह बदलाव कुल 3 चरणों में होने जा रहा है:

  1. कलियुग का अंत
  2. महाविनाश
  3. नए युग का प्रारम्भ

भविष्य मालिका के मुताबिक अगले कुछ वर्षों में ही ये तीनों चरण पूरे हो जायेंगे।

वैदिक ज्योतिष के मुताबिक, शनिदेव 29 अप्रैल 2022 को कुम्भ राषि में प्रवेश करेंगे फिर वो 12 जुलाई 2022 को मकर राषि में दुबारा से प्रवेश कर जायेंगे यानी दुनियां में इन ढाई महीने में तीसरे विश्वयुद्ध की नीव पड़ जाएगी। शनि इसके बाद 17 जनवरी 2023 को एक बार फिर कुम्भ राषि में चले जायेंगे और 29 मार्च 2025 तक वहां बने रहेंगे, यानि अप्रैल 2022 से लेकर मार्च 2025 तक धरती पर महाविनाश का पहला चरण तीसरे विश्व युद्ध के रूप में शुरू हो जायेगा।

इसके बाद शनि 29 मार्च 2025 से 23 फरवरी 2028 तक मीन राशि में रहेंगे। इस काल खंड में महाविनाश अपने चरम पर रहेगा।

अभी भी मनुष्यों के पास समय है कि वे मांसाहार, शराब, तम्बाकू छोड़ दें और शुद्ध शाकाहारी बने इसके साथ झूठ बोलना, बुराई करना, बेईमानी करना, किसी को सताना, जीव-जंतुओं कि हत्या छोड़ें और सनातन धर्म के मूल तत्व यानी सत्य, अहिंसा, प्रेम, दया, क्षमा, दान, जप, तप, यम, नियम आदि का पालन करते हुए जय श्री माधव… कल्किराम प्रभु जी का जाप करें।

आइये हम अनंत कोटि विश्व ब्रह्मांड के स्वामी परमब्रह्म नारायण महाविष्णु भगवान् कल्कीराम श्री श्री सत्य अनंत माधव महाप्रभु जी को प्रणाम करें!

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