25 दिसंबर को हम क्रिसमस डे क्यों मनाएं जब क्रिसमस का पेड़ हमारे देश का भी नहीं और ना ही इस दिन का हमारे जीवन से कोई मतलब या योगदान रहा है। इसके जगह हमारा प्यार तुलसी के पौधों के लिए होनी चाहिए जिसका महत्व और स्वास्थ्य लाभ किसी से छिपा नहीं है।
तुलसी को सनातन धर्म में माता माना जाता है। यह पौधा शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और पर्यावरणीय तनाव के प्रति स्वस्थ प्रतिक्रिया में सहायता करने के लिए तुलसी का उपयोग आयुर्वेद में हजारों वर्षों से किया जा रहा है।
आधुनिक शोध ने तुलसी को एक एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी के रूप में वर्गीकृत किया है जो शरीर की स्वस्थ तनाव प्रतिक्रिया में सहायता करने के लिए जानी जाती है।
तुलसी एक एंटीबायोटिक की तरह काम करती है, अगर कोई व्यक्ति हर दिन इसका सेवन करता है तो वह लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकता है। क्योंकि यह पौधा बीमारी को रोकता है और स्वास्थ्य को स्थिर बनाये रखने में मदत करता है।
इसके अलावा, तुलसी की सुगंध मच्छरों और अन्य कीड़ों को दूर करती है, यह भी माना जाता है कि तुलसी के पौधे के पास सांप नहीं चलते हैं, इसलिए प्राचीन लोग तुलसी को अपने घरों में और पास लगाते थे।
हिन्दू धर्म में तुलसी पूजन का महत्व

ऐसे वृक्ष को क्या सजाना जो ना तो ऑक्सीजन दे सकता, ना हीं छाया, ना हीं फल और ना हीं कोई औषधीय लाभ। हमारे धर्म में जब तुलसी पूजा है, वट वृक्ष पूजा है, तो क्या हमें ऐसे मूढ़ता पूर्ण पर्व celebrate करना शोभा देता है?
तुलसी के द्वारा होने वाले लाभ की सूची :
- इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर साबित होती है तुलसी
- कैंसर के इलाज में
- चेहरे की चमक को वापिस पाने के लिए
- चोट लग जाने पर या काट लगने पर
- सांस की दुर्गंध को दूर करने के लिए
- दस्त होने पर
- सर्दी, खांसी और जुकाम में खास
- महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या में
- यौन रोगों के इलाज मे
- हवाओं को स्वस्थ करती है
- ओजोन की परत को टूटने से रोकती है ,…
ये हमारे पूर्वजों और ऋषि – मुनियों के द्वारा दिया गया समस्त मानव जातियों के लिए एक वरदान है, और आगे आने वाले समय में ये हमें टूटते ओजोन की परत को दुरुस्त कर कैंसर से भी बचाएगी।
इसलिए हमें 25 दिसंबर को क्रिसमस डे की जगह तुलसी डे यानि तुलसी दिवस मनाना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा संख्यां में इस पेड़ को लगा कर इनके रक्षा का प्रण लेना चाहिए।
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